EPFO पर केंद्र सरकार का बड़ा फैसला: रिटायरमेंट फंड पर 8.15% ब्याज दर घोषित, करोड़ों कर्मचारियों को होगा फायदा
कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफओ) को लेकर केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लिए गए फैसले से देशवासियों के चेहरे खिल गए हैं। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए ईपीएफओ के लिए 8.15% की ब्याज दर की घोषणा की है, जो एक आवश्यक और महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है। 24 जुलाई को ईपीएफओ ने एक सर्कुलर के माध्यम से इसकी जानकारी दी है।
ईपीएफओ की आधिकारिक जानकारी में बताया गया है कि भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 2022-23 के लिए ईपीएफओ खातों पर 8.15 फीसदी ब्याज को मंजूरी दे दी है। इस फैसले का सीधा फायदा संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को होगा.
मार्च 2022 में, ईपीएफओ ने 2021-22 के लिए ईपीएफ जमा ब्याज दर को घटाकर 8.15 फीसदी कर दिया गया था, जो की पिछले चार दशकों में सबसे कम था। इससे पहले, ईपीएफओ ने 2020-21 के लिए ईपीएफ खातों पर 8.5 फीसदी ब्याज देने की घोषणा की थी। सूचना में बताया गया है कि ईपीएफ मेंबर्स के खातों में ब्याज की राशि जल्द ही जमा कर दी जाएगी।
एम्प्लोयी प्रोविडेंट फंड संगठित क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के लिए अनिवार्य कंट्रीब्यूशन है। एम्प्लॉयर्स भी ईपीएफ खाते में अपने कर्मचारियों के बराबरी का योगदान करते हैं। हर महीने कर्मचारियों की सैलरी का 12 प्रतिशत हिस्सा ईपीएफ खाते में जाता है। एम्प्लॉयर का पूरा कंट्रीब्यूशन ईपीएफ खाते में जाता है। वहीं, कर्मचारियों के योगदान का सिर्फ 3.67 प्रतिशत हिस्सा ईपीएफ खाते में जाता है। शेष 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है।
इस जानकारी के साथ हम आपको यह भी बताना चाहेंगे कि आप अपने ईपीएफ खाते का बैलेंस कैसे देख सकते हैं। ईपीएफओ के द्वारा मैनेज किये जाने वाले ईपीएफ खाते का बैलेंस चेक करने के लिए चार तरीके हैं। अधिक जानकारी के लिए आप हमारे इस लेख को देख सकते हैं: EPFO पासबुक: घर बैठे अपना ईपीएफ बैलेंस चेक करें; यहां 4 आसान तरीके दिए गए हैं।
सरकार के इस नए फैसले से EPFO की जमा राशि में अच्छी बढ़ोतरी होगी. इससे निवेशक निवेश के लिए प्रोत्साहित होंगे और उनकी ईपीएफ जमा राशि में बढ़ोतरी होगी। इससे कर्मचारियों को अपने भविष्य की योजना बनाने में मदद मिलेगी और आपात स्थिति या रिटायरमेंट के समय उन्हें अच्छी रकम मिलेगी।
यह निर्णय ईपीएफओ योजना की प्राथमिकता और महत्व को भी बढ़ाता है। यह निर्णय देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी सकारात्मक है क्योंकि इससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा और समग्र अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।